2021


भारत के लोग रॉलट ( रौलेट ) एक्ट के विरोध में क्यों थे ? 


उत्तर

रॉलट (रौलेट) एक्ट इंपीरियल लेजिस्लेटिव कौंसिल द्वारा 1919 ई० में पास किया गया। इसे काला कानून भी कहते हैं। उस समय प्रथम महायुद्ध के कारण भारत को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। ऐसे में भारत में राष्ट्रीय आंदोलन का प्रसार अंग्रेजी साम्राज्य के लिए घातक सिद्ध हो सकता था। अतः सरकार ने राष्ट्रीय आंदौलन का दमन करना आवश्यक समझा और बहुत जल्दबाजी में रॉलट (रौलेट) एक्ट पास कर दिया। 

इस अधिनियम के अनुसार सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने और राजनीतिक कैदियों को दो साल तक बिना मुकद्दमा चलाए नज़रबंद करने का अधिकार मिल गया। इस प्रकार इस अधिनियम ने भारतीयों की स्वतंत्रता का अपहरण कर लिया। साथ ही वे किसी भी क्षण बंदी बनाए जाने के भय से चिंतित रहने लगे। ऐसी अवस्था में रॉलट ( रौलेट ) एक्ट का विरोध होना स्वाभाविक ही था।

 

Why were the people of India opposed to the Rowlatt Act?



Answer

The Rowlatt Act was passed by the Imperial Legislative Council in 1919. It is also called black law. At that time, India was facing many problems due to the First World War. In such a situation, the spread of the national movement in India could prove fatal for the British Empire. Therefore, the government considered it necessary to suppress the national movement and very hastily passed the Rowlatt Act. 

According to this act, the government got the right to suppress political activities and to detain political prisoners without trial for two years. Thus this act hijacked the freedom of Indians. At the same time they began to worry about the fear of being imprisoned at any moment. In such a situation, it was natural to oppose the Rowlatt Act.


पहले विश्व युद्ध ने भारत में  आंदोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया ? 


उत्तर 

पहला विश्व युद्ध जहाँ मानवता के लिए विनाश का कारण बना वंही इसके कारण राष्ट्रवाद को भी बल मिला। भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में प्रथम विश्व युद्ध के योगदान का वर्णन इस प्रकार है--

1. करों में वृद्धि -- पहले विश्व युद्घ के कारण एकाएक रक्षा व्यय बढ़ गया। इस खर्च को पूरा करने के लिए सरकार ने करों में वृद्धि कर दी। इसके अतिरिक्त सीमा शुल्क को भी बढ़ा दिया गया। आयकर के रूप में नया कर भी लगा दिया गया। इससे जनता में रोष फैल गया जिसने राष्ट्रवाद को जन्म दिया।

2. कीमतों में वृद्धि -- पहले विश्व युद्ध के दौरान खाद्य पदार्थों का भारी अभाव हो गया। फलस्वरूप कीमतें लगभग दुगनी हो गईं। आम आदमी का जीवन कष्टमय हो गया। अत: लोग विदेशी शासन से मुक्ति के बारें में सोचने लगे। यह सोच राष्ट्रीय आंदोलन का आधार बनी।

3. सिपाहियों की जबरन भर्ती -- पहले विश्व युद्ध में अत्यधिक सैरिकों के मरने के कारण सरकार को अधिक-से-अधिक सैनिकों की आवश्यकता थी। अत: गांवों से नौजवानों को ज़बरदस्ती सेना में भर्ती किया गया। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार के प्रति विशेष रोष था।

4. भारतीय उदयोगपतियों में रोष --
भारत में अब विदेशी पूंजी बड़े पैमाने पर लगाई जाने लगी। भारतीय उद्योगपति चाहते थे कि सरकार आयातों पर भारी कस्टम ड्यूटी लगाए तथा उन्हें सुविधाएं देकर भारतीय उद्योगों को सुरक्षा प्रदान करे। अब उन्हें भी आभास होने लगा कि केवल एक दृढ राष्ट्रवादी आंदोलन तथा एक स्वाधीन भारतीय सरकार के द्वारा ही सुरक्षा के लक्ष्य प्राप्त किए जा सकते हैं।

5. मज़दूरों तथा दस्तकारों में रोष -- बेरोज़गारी तथा महंगाई से पीड़ित मज़दूर तथा दस्तकार भी राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय हो उठे। उनके लिए निर्वाह करना भी कठिन था। वे सोचने लगे कि यदि भूखा ही मरना है तो स्वदेशी सरकार की छाया में ही क्यों न मरा जाए। अत: वे स्वतंत्रता के लिए कोई भी आहुति देने के लिए तत्पर हो उठे।

इस तरह भारतीय समाज के सभी वर्ग अंग्रेज़ी सरकार की नीतियां से पीड़ित थे। अत: उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए राष्ट्रवादी आन्दोलन आरंभ कर दिया।

 

How did the First World War contribute to the development of the movement in India?



Answer

While the First World War caused destruction to humanity, it also gave a boost to nationalism. The contribution of the First World War in the development of the national movement in India is described as follows- 

 

1. Increase in taxes --  Due to the First World War, the defense expenditure suddenly increased. To meet this expenditure, the government increased taxes. In addition, customs duty was also increased. A new tax was also imposed in the form of income tax. This caused public anger which gave rise to nationalism.

2. Increase in Prices --  During the First World War there was a severe shortage of food items. As a result the prices almost doubled. The life of the common man became painful. So people started thinking about freedom from foreign rule. This thinking became the basis of the national movement.

3. Forced Recruitment of Soldiers -- The government needed more and more soldiers because of the excessive casualties in the First World War. Therefore, the youth from the villages were forcibly recruited into the army. This caused a special resentment towards the government in rural areas.

4. Fury among Indian industrialists -- Now foreign capital started investing in India on a large scale. Indian industrialists wanted the government to impose heavy customs duty on imports and provide security to Indian industries by providing them facilities. Now they also began to realize that the goals of security can be achieved only through a firm nationalist movement and an independent Indian government. 

5. Fury among workers and artisans -- Workers and artisans suffering from unemployment and inflation also became active in the national movement. It was also difficult for them to survive. They started thinking that if you want to die of hunger then why not die under the shadow of the indigenous government. So they were ready to make any sacrifice for freedom.

In this way all sections of the Indian society were suffering from the policies of the British government. Therefore, he started the nationalist movement for independence.


उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आन्दोलन से जुडी हुई क्यों थी ?

उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया निश्चित रूप से उपनिवेशवाद विरोधी आन्दोलन से जुड़ी हुई थी। औपनिवेशिक शासकों के विरुध संघर्ष के दौरान लोग आपसी एकता को पहचानने लगे थे। उनका समान रूप से उत्पीड़न और दमन हुआ था। इस सांझा अनुभव ने उन्हें एकता के सूत्र में बाँध दिया। वे यह भी जान गए थे कि विदेशी शासकों को एकजुट होकर ही देश से बाहर निकाला जा सकता है। उनकी इस भावना ने भी राष्ट्रवाद के उदय में सहायता पहुंचाई।


Why was the process of rise of nationalism in the colonies linked to the anti-colonial movement?


The process of rise of nationalism in the colonies was definitely linked to the anti-colonial movement. During the struggle against the colonial rulers, people began to recognize mutual unity. They were equally oppressed and oppressed. This shared experience tied them in the thread of unity. They also knew that foreign rulers could be driven out of the country only by uniting. This spirit of his also helped in the rise of nationalism.

गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापिस लेने का फैसला क्‍यों लिया ?

वह कौन-से कारण थे जिनको लेकर गांधी जी ने असहयोग आंदोलन वापिस लेने का फैसला किया?



उत्तर :

असहयोग आंदोलन अहिंसा पर आधारित था। परिणामस्वरूप शीघ्र ही यह आंदोलन बल पकड़ गया। विद्यार्थियों ने सरकारी विद्यालयों का बहिष्कार कर दिया। जनता ने बीच चौराहों पर विदेशी वस्त्रों की होली जलाई। ये सभी गतिविधियाँ शांतिपूर्ण थीं, दुर्भाग्यवश उत्तर प्रदेश के चौरी-चौरा नामक स्थान पर बाज़ार से गुज़र रहा शांतिपूर्ण जुलूस पुलिस के साथ हिंसक टकराव में बदल गया और भीड़ ने पुलिस थाने को आग लगा दी। इस हिंसात्मक घटना से दुःखी होकर 12 फरवरी, 1922 को गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन वापिस ले लिया।

 
  

Why did Gandhi ji decide to withdraw the non-cooperation movement?


What were the reasons for which Gandhi ji decided to withdraw the non-cooperation movement?



Answer :

The non-cooperation movement was based on non-violence. As a result, the movement soon gained momentum. Students boycotted government schools. People lit Holi of foreign clothes at the middle squares. All these activities were peaceful, unfortunately,  A peaceful procession passing through a market place in Uttar Pradesh's Chauri-Chaura turned into a violent confrontation with the police and the mob torched the police station. Saddened by this violent incident, Gandhi ji withdrew the non-cooperation movement on February 12, 1922.
 
 


प्लास्टर ऑफ़ पेरिस को आर्द्र-रोधी बर्तन में क्यों रखा जाना चाहिए ? इसकी व्याख्या कीजिए


उत्तर

प्लास्टर ऑफ पेरिस CaSO4 .1/2 H2O है। नमी की उपस्थिति के कारण यह जिप्सम बन जाता है।

CaSO4 .1/2 H2O         ---->  CaSO4.2H2O

प्लास्ट ऑफ पेरिस                  जिप्सम
इसलिए इसे आर्द्र-रोधी बर्तन में रखा जाना चाहिए।

 

Why should plaster of paris be kept in a moisture proof container? explain it



Answer

Plaster of Paris is CaSO4 .1/2 H2O. Due to the presence of moisture it becomes gypsum.

CaSO4 .1/2 H2O         ---->  CaSO4.2H2O

Plast of Paris                       Gypsum


Therefore it should be kept in a moisture proof container.


 


एक ग्वाला ताज़े दूध में थोड़ा बेकिंग सोडा मिलाता है।

(a) ताज़ा दूध के pH  के मान को 6 से बदल कर थोड़ा क्षारीय क्यों बना देता है ?
(b) इस दूध को दही बनने में अधिक समय क्‍यों लगता है ?


उत्तर

(a) ताज़ा दूध अम्लीय है और खट्टा हो कर अधिक अम्लीय हो जाता है। बेकिंग सोडा की उपस्थिति में दूध क्षारीय हो जाएगा और जल्दी से खट्टा नहीं होगा क्योंकि क्षार दूध को शीघ्रता से अम्लीय बनने से रोक देगा।


(b) जब दूध दही में बदलता है तो लैक्टिक अम्ल बनने के कारण उसका pH कम हो जाता है। क्षार की उपस्थिति इसे जल्दी से अधिक अम्लीय होने से रोकती है इसलिए दूध को दही बनने में अधिक समय लगता है ।

 

A cowherd mixes some baking soda in fresh milk.

(a) Why does the pH of fresh milk change from 6 to slightly alkaline?

(b) Why does this milk take longer to turn into curd?



Answer

(a) Fresh milk is acidic and turns sour and becomes more acidic. Milk will become alkaline in the presence of baking soda and will not sour as quickly as the alkali will prevent the milk from becoming acidic quickly.


(b) When milk turns into curd, its pH decreases due to the formation of lactic acid. The presence of alkali prevents it from becoming too acidic quickly so milk takes longer to curd.


धोने का सोडा एवं ब्रेकिंग सोडा के दो-दो उपयोग बताइए

उत्तर

( क ) धोने का सोडा ( Na2CO3.10H2O )

1. इस का उपयोग कांच, साबुन और कागज उद्योगों में होता है।
2. जल की स्थाई कठोरता को दूर करने के लिए इस का उपयोग होता है।

(ख) बेकिंग सोडा ( NaHCO3 )

1. इस का प्रयोग सोडा-अम्ल अग्निशामक में किया जाता है।
2. यह ऐंटैसिड का एंक संघटक है जो पेट के अम्ल की अधिकता को उदासीन करके राहत पहुंचाता है।

 

Give two uses each of washing soda and baking soda.


Answer

(a) Washing soda ( Na2CO3.10H2O )

1. It is used in the glass, soap and paper industries.
2. It is used to remove permanent hardness of water.

(b) Baking soda ( NaHCO3 )

1. It is used in soda-acid fire extinguishers.
2. It is an ace ingredient of antacids which provides relief by neutralizing excess stomach acid.


उदासीनीकरण अभिक्रिया क्‍या है ? दो उदाहरण दीजिए

उत्तर 

जब अम्ल किसी क्षार से क्रिया करता है तब लवण और जल बनता है। इसे उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं।

NaOh + HCI        ---- >       NaCI +H2O

(क्षार) (अम्ल)                         (लवण) (जल) 

 

KOH + HNO3        ---- >       KOH3 +H2O

(क्षार) (अम्ल)                         (लवण) (जल)

 


What is neutralization reaction? give two examples


Answer

When an acid reacts with a base, a salt and water are formed. This is called neutralization reaction.



NaOh + HCI        ---- >       NaCI +H2O

(क्षार) (अम्ल)                         (लवण) (जल) 

 

KOH + HNO3        ---- >       KOH3 +H2O

(क्षार) (अम्ल)                         (लवण) (जल)


आसवित जल विधुतचालन क्यों नहीं होता जबकि वर्षा जल होता है 


उत्तर

वर्षा जल में CO2, SO2 जैसी गैसें घुली होती हैं, जो कार्बोनिक अम्ल ( H2CO3) सल्फुरस अम्ल (H2SO3) आदि बनती है इनका आयनों में विच्छेदन होता है। इसलिए वर्षा जल में विधुत का चालन होता है आसवित जल में घुलनशील लवण या गैसें नही होती इसलिए इसका आयनीकरण नहीं होता और इस में विधुत का चालन नहीं होता ।

 

Why does distilled water not conduct electricity while rain water does?



Answer

Gases like CO2, SO2 are dissolved in rain water, which form carbonic acid ( H2CO3), sulfurous acid (H2SO3) etc. They dissociate into ions, so rain water conducts electricity, so distilled water does not contain soluble salts or gases. It does not ionize and does not conduct electricity




दैनिक जीवन में pH का महत्त्व स्पष्ट कीजिए


उत्तर

pH का हमारे दैनिक जीवन में बहुत अधिक महत्त्व है।


1. मानव और जंतु जगत्‌ में--
हमारे शरीर की अधिकांश क्रियाएं 7.0 से 7.8 pH परास के बीच काम करंती है। हम इंसी संकीर्ण परास में ही जीवित रह सकते हैं। हमारे रक्त, आँसुओं, लार आदि का pH लगभग 7.4 होता है। यदि यह 7.0 से कम ही जाता है या 7.8 से बढ़ जाता है तो जीवन असंभव-सा हो ज़ाता है। वर्षा के जल से pH का मान जब 7 से कम होकर 5.6 हो जाता है तो उसे अम्लीय वर्षा कहते हैं। अम्लीय वर्षा का जल जब नदियों में बहता है तो नदी के जल का pH का मान कम हो जाता है जिस कारण जलीय जीवधारियों का जीवन कठिन हो जाता है।

2. पेड़-पौधों के लिए--पेड़-पौधों की अच्छी वृद्धि, और अच्छी उपज के लिए मिट॒टी के pH परास की विशेषता बनी रहनी चाहिए। यदियह अधिक अम्लीय या क्षारीय हो जाए तो उपज पर कुप्रभाव पड़ता है।
 

3.  पाचन-तंत्र - हमारे पेट में HCI उत्पन्न होता रहता है जो हमें बिना हानि पहुँचाए भोजन के पाचन में संहायक होता है। अपच की स्थिति में इस में अम्ल की मात्रा अधिक बनने लगती है। जिस कारण पेट में दर्द और जलन अनुभव होता है। इस दर्द से छुटकारा पाने के लिए ऐंटेसिंड जैसे क्षारकों का प्रयोग करना प्रड़ता हैं। इस के लिए प्राय: मिल्क ऑफ मैग्नीशियम जैसे दुर्बल क्षारक का प्रयोग करना आवश्यक ही जाता है।

4. दंत-क्षय--हमारे मुँह के pH का मान 5.5 से कम होने पर दांतों का क्षय शुरू हो जाता है। हमारे दांत कैल्सियम फॉस्फेट से बने होते हैं जो शरीर का सबसे कठोर पदार्थ है। यह जल में नहीं घुलता पर मुंह की pH का 5.5 से कम होने पर यह नष्ट होने लगता है। मुँह में उपस्थित जीवाणु, अवशिष्ट शर्करा और खादूय पदार्थों के निम्नीकण से अम्ल उत्पन्न होते हैं। इनसे छुटकारा पाने के लिए क्षारकीय दंत-मंजन  का प्रयोग किया जाना चाहिए। इससे अम्ल की अधिकता उदासीन हो जाती है और दांत क्षय से रोके जा सकते हैं। 


5. जीव-जंतुओं के डंक-से रक्षा--जब जीव-जंतु कभी डंक मार देते हैं तो वे हमारे शरीर में विशेष प्रकार के अम्ल छोड़ देते हैं । मधुमक्खी भिरंड, चींटी आदि मेथैनॉइक अम्ल हमारे शरीर में डंक के माध्यम से पहुंचा देते हैं। इस से उत्पन्न पीड़ा से मुक्ति के लिए डंक मारे गए अंग पर बेकिंग सोडा जैसे दुर्बल क्षारक का प्रयोग करना चाहिए।

6. विशेष पौधों से रक्षा--नेटल (Nettle) पौधे के पत्तों पर डंकनुमा बाल होते हैं। उन्हें छू जाने से डंक जैसा दर्द होता है। इन बातें से मेथैनॉइक अम्ल का स्राव होता है जो दर्द का कारण बनता है। पारम्परिक तौर पर इस पीड़ा से मुक्ति डॉक पौधे की पत्तियों को डंक वाले स्थान पर रगड़ कर पाई जाती है।

 

Explain the importance of pH in daily life

Answer

pH has a lot of importance in our daily life.


1. Most of the functions of our body work in the pH range of 7.0 to 7.8 in the human and animal world. We can survive only in such a narrow range. The pH of our blood, tears, saliva etc. is around 7.4. If it goes less than 7.0 or increases by 7.8 then life becomes impossible. When the pH of rain water decreases from 7 to 5.6, it is called acid rain. When acid rain water flows into rivers, the pH value of the river water decreases, due to which the life of aquatic organisms becomes difficult.

2. For plants and trees, the pH range of the soil should be characterized for good growth of plants and good yield. If it becomes more acidic or alkaline, then the yield is affected.   

                                        
3. Digestive system - HCI keeps on being produced in our stomach which is helpful in digestion of food without harming us. In the case of indigestion, the amount of acid in it starts to build up. Due to which pain and burning sensation is experienced in the stomach. To get rid of this pain, it is necessary to use bases like antacids. For this, it is often necessary to use a weak base like Milk of Magnesium.        

            
4. Tooth decay- The decay of teeth starts when the pH of our mouth is less than 5.5. Our teeth are made of calcium phosphate which is the hardest substance in the body. It does not dissolve in water, but when the pH of the mouth is less than 5.5, it starts to break down. Acids are produced by the degradation of bacteria, residual sugars and food substances present in the mouth. To get rid of them, alkaline toothpaste should be used. This neutralizes the excess of acid and can prevent tooth decay.                                 

5. Protection of animals from stings - When animals sometimes sting, they release special types of acids in our body. Bee beetles, ants, etc. transmit methanoic acid to our body through stings. To get rid of the pain caused by this, a weak base like baking soda should be used on the stung limb.   

                                  
6. Protection from special plants - Nettle plant has stinging hairs on its leaves. Touching them causes stinging pain. These things release methanoic acid which causes pain. Traditionally, relief from this pain is found by rubbing the leaves of the dock plant on the sting site.


जल की अनुपस्थिति में अम्ल का व्यवहार अम्लीय क्‍यों नहीं होता है ?

उत्तर

जल किसी अम्ल के विच्छेदन में सहायक होता है जिस से हाइड्रोनियम (H3O+) आयन उत्पन्न होता है। जल की अनुपस्थिति में आयन उत्पन्न नहीं होते। इसलिए जल की अनुपस्थिति में अम्ल का व्यवहार अम्लीय नहीं होता।

 

Why does an acid not behave acidic in the absence of water?


Answer

Water helps in the dissolution of an acid from which hydronium (H3O+) ion is produced. Ions are not produced in the absence of water. Therefore, the behavior of an acid is not acidic in the absence of water.


ताज़ा दूध के pH का मान 6 होता है। दही बन जाने पर इसके pH के मान में क्या परिवर्तन होगा ? 


उत्तर :

 जब ताज़ा दूध दही में बदल जाता है तो pH कम हो जाएगा। ऐसा इसलिए होगा कि दही अधिक अम्लीय होता है। दही में लैक्टिक अम्ल होता है। जितना अधिक अम्ल होगा उस का pH उतना ही कम होगा।


The pH value of fresh milk is 6. What will be the change in the value of pH when curd is formed?



answer :

 When fresh milk turns into curd the pH will drop. This is because curd is more acidic. Yogurt contains lactic acid. The more acid there is, the lower will be its pH.


 


आप कैसे कह सकते हैं कि लोगों की जान भूकंप नहीं, अपितु ग़लत ढंग से बनाए गए मकान लेते हैं ?

अथवा

भूकंप का भवनों पर क्‍या प्रभाव पड़ता है ?


उत्तर

भूकंप आने से भूमि में कंपन उत्पन्न होता है जिसका भवनों, पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है । यदि भवन उचित ढंग से बनाये गए हों। तो मनुष्य विनाश से बच सकता है। परंतु गलत ढंग से बने मकान ध्वस्त हो जाते हैं और जन-धन का भारी विनाश होता है। कुछ भवनों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ जाती हैं जो शीघ्र ही गिर जाते हैं। इसीलिए यह कह जाता है कि  लोगों की जान भूकंप नहीं अपितु ग़लत ढंग से बनाए गए मकान लेते हैं।
 

 

How can you say that people's lives are not taken by earthquakes, but by wrongly built houses?


Or

What is the effect of earthquake on buildings?



Answer

Earthquake causes vibrations in the ground, which have a devastating effect on buildings. If the buildings are properly constructed. So man can be saved from destruction.                                                                                                   

  But the wrongly built houses get demolished and there is huge destruction of public and money. Some buildings develop large cracks that quickly collapse. That is why it is said that it is not earthquakes that take people's lives but wrongly built houses.


मिट्टी के द्रवीकरण से क्‍या अभिप्राय है ? इसका निर्मित भवन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?


उत्तर

मिट्टी पर अधिक दबाव पड़ने से मिट्टी ठोस अवस्था से द्रव अवस्था में बदल जाती हैं। इसे मिट्टी का द्रवीकरण कहते हैं । इसके परिणामस्वरूप भवन झुक सकता है अथवा उसमें दरारें पड़ सकती हैं। भवन धराशाही भी हो सकता है।

What is meant by liquefaction of soil? What is its effect on the constructed building?



Answer

Due to excessive pressure on the soil, the soil changes from solid state to liquid state. This is called liquefaction of soil. This can result in the building bending or cracking. The building may also collapse.


नरम और कठोर मिट्टी पर नींव का निर्माण किया प्रकार किया जाना चाहिए ?



उत्तर

नरम मिट्टी पर नींव के निर्माण से बचना चाहिए अथवा मिट्टी को कठोर तथा सुसंबद्ध ( Compact ) बना कर ही निर्माण कार्य करना चाहिए। परंतु कठोर मिट्टी पर नींव किसी भी प्रकार बनाई जा सकती है। बस एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि इसके आधार को सीमेंट एवं बजरी अथवा चूने से मज़बूत बनाया जाए और उसको चौड़ाई उपयुक्त हो। 


What type of foundation should be built on soft and hard soils?



Answer

The construction of foundation on soft soil should be avoided or construction work should be done only after making the soil hard and compact. But any type of foundation can be built on hard soil. Just one thing should be kept in mind that its base should be strengthened with cement and gravel or lime and its width should be suitable.


भूकंप-रोधी भवन का आकार कैसा होना चाहिए ?


उत्तर

किसी भूकंप-रोधी भवन की संरचना की निम्नलिखित विशेषताएं होनी चाहिएँ--

(1) भवन की योजना साधारण आयताकार होनी चाहिए ।


(2) लंबी दीवारों को थोड़ी-थोड़ी दूरी पर मज़बूत कंकरीट के स्तंभों से सहारा देना चाहिए।


(3) TLU तथा X आकार के भवनों को छोटे-छोटे आयताकार टुकड़ों में बॉट देना चाहिए।


What should be the size of an earthquake resistant building?



Answer

The structure of an earthquake resistant building should have the following characteristics-

(1) The plan of the building should be simple rectangular.


(2) Long walls should be supported at some distance by strong concrete pillars.


(3) TLU and X shaped buildings should be divided into small rectangular pieces.



कौन-से मकान भू-स्खलन से सबसे अधिक असुरक्षित होते हैं ?


उत्तर

वे मकान भू-स्खलन से सबसे अधिक असुरक्षित होते हैं,जो

(1) भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में बने हों।


(2) तेज़ ढलानों तथा कमजोर भौतिक धरातल पर बने हों। 


(3) केनियनों त्था अन्य जल-निकासी ख्रोतों के निकट बने हों।


(4) टूठी-फूटी चट्टानों वाली पहाड़ियों की तलहटी में बने हों।


Which houses are most vulnerable to landslides?


Answer

Those houses are most vulnerable to landslides, which

(1) Landslides are made in the affected area.


(2) Be built on steep slopes and weak physical surface.


(3) Close to canyons and other drainage sources.


(4) Built in the foothills of hills with broken rocks.


बाढ़ के खतरे को कम करने के लिए निर्माण कार्य में किन-किन तकनीकों का प्रयोग किया जाता है? 

उत्तर

बाढ़ के खतरे को कम करने के लिए निम्नलिखित तकनीकों का प्रयोग किया जाता है--


(1) भवन का उच्च स्थल का निर्माण ताकि मकान का प्रथम तल बाढ़ के जल स्तर से ऊँचा हो।

(2) जल अवरोधक प्रवेश द्वार बनाना।

(3) निर्माण में ऐसी सामग्री प्रयोग में लाना जो जल-रोधी हो।

 


What techniques are used in construction work to reduce the risk of floods?


Answer

The following techniques are used to reduce the risk of the flood:


(1) Construction of the high ground of the building so that the first floor of the house is higher than the flood water level.

(2) Making water barrier entrance.

(3) To use such material in construction that is water-resistant.

 


भूकंप के कारण उत्पन्त्र होने वाली धरातलीय हलचलों के क्‍या दुष्परिणाम होते हैं? 

उत्तर :-

भूकंप के कारण उत्पन्न धरातलीय हलचलों के निम्नलिखित दुष्परिणाम होते हैं--


(1) आगे-पीछे होने के कारण धरती में कंपन-यह क्रिया धरती में से कंपन तरंगों के गुज़रने से होती है। 

(2) धरातल में कंपन के कारण मिट्टी का कमज़ोर होना तथा भू-स्खलन।

(3) धरातल में दरारें पड़ना।

(4) सागरों में सुनामी लहरें उत्पन्न होना जो तटीय प्रदेशों में भारी विनाश करती हैं।

 

What are the consequences of surface movements caused by earthquake?


Ans

The following are the side effects of surface movements caused by earthquake--


(1) Vibration in the earth due to back-and-forth – This action is caused by the passing of vibrational waves through the earth.

(2) Weakening of soil and landslides due to vibration in the surface.

(3) cracks in the surface.


भूकंप का भवनों पर क्‍या प्रभाव पड़ता है ?


उत्तर

भूकंप के कारण धरातल में भूकंपीय तरंगें उत्पन्न होती हैं। फलस्वरूप धरातल पर स्थित भवन गति में आ जाते हैं। इनकी गति इसकी निर्माण सामग्री पर निर्भर करती है। भवन का निचला भाग पृथ्वी के साथ एक ही रेखा में आगे-पीछे होने लगता है। परंतु भवन का ऊपरी भाग विश्राम अवस्था में रहता है। धीरे-धीरे ऊपरी भाग भी भवन के निचले भाग के साथ चिपका रहने का प्रयास करता है। परिणाम यह होता है कि भवन का ढांचा अस्त-व्यस्त हो जाता है और अंततः: भवन ध्वस्त हो जांता है। ऊँचे भवन नीचे भवनों की अपेक्षा जल्दी क्षतिग्रस्त होते हैं। 

 

 

What is the effect of the earthquake on buildings?


Answer

Seismic waves are generated on the surface due to earthquakes. As a result, the buildings on the ground come into motion. Their speed depends on their construction material. The lower part of the building starts moving back and forth in the same line as the earth. But the upper part of the building remains at rest. Gradually the upper part also tries to stick with the lower part of the building. The result is that the structure of the building becomes disorganized and eventually the building collapses. High buildings are damaged more quickly than buildings below.

हिमाचल प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2021 के लिए ऑनलाइन फॉर्म कैसे भरें 

How to Apply Online for Himachal Police Recruitment 2021

 

हिमाचल प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2021 के लिए इन दिनों ऑनलाइन फॉर्म भरे जा रहें है, लेकिन कई लोगों को ऑनलाइन फॉर्म भरने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, MT Hindi Education ब्लॉग इन दिक्कतों को देखते हुए इस ऑनलाइन फॉर्म को भरने की पूरी जानकारी लेकर आया है,हम मानते है की यह जानकारी आपके लिए लाभदायक सिद्ध होगी

 

ऑनलाइन आवेदन करने के लिए योग्य और इच्छुक उम्मीदवार नीचे दी गई प्रक्रिया का पालन करके हिमाचल प्रदेश पुलिस भर्ती 2021 कांस्टेबल ऑनलाइन फॉर्म भर सकते हैं।



सबसे पहले हिमाचल प्रदेश पुलिस की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।

www.recruitment.hppolice.gov.in

आधिकारिक विज्ञापन को डाउनलोड करें और ध्यान से पढ़ें और अपने सभी विवरण और ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर आदि तैयार करें।



सबसे पहले न्यू यूजर New User के आप्शन पर क्लिक करें। इसके बाद खुली वेबसाइट website में अपना हिमाचली बोनाफाइड सर्टिफिकेट का नंबर Himachali Bonafide Certificate Number लिखें।  फिर अगले आप्शन Option में अपना पूरा नाम लिखे। इसके बाद अगले आप्शन Option में अपना मोबाइल नंबर लिखे। अगर आपके पास इ मेल Email आई डी हो तो इसे अगले आप्शन Option में भरें नही तो इस आप्शन Option को खाली ही रहने दे, और रिजिस्टर Register पर क्लीक Click करें।

इसके बाद आपके द्वारा दिए गये मोबाइल नंबर Mobile Number पर एक ओटिपी OTP आएगा।उसे लिखें और  सबमिट Submit पर क्लीक Chick  करें।


अब आपके सामने खुली फॉर्म Form में अपना मोबाइल नंबर Mobile Number और पासवर्ड Password के  स्थान पर अपने मोबाइल पर आये ओटिपी OTP को लिखें। अगर आपकी आई डी ID नही खुलती है या  पासवर्ड Password को गलत बताया जाता है तो फॉरगेट पासवर्ड Forget Password पर क्लिक करें और अपना मोबाइल नंबर लिखे उसमे ओटिपी OTP आएगा अब नया पासवर्ड New Password बनाये। अब आपके सामने खुली फॉर्म में अपना मोबाइल नंबर और पासवर्ड डाले ।

 


अब सामने खुली फॉर्म के I've read and understood all the instructions and guidelines mentioned above के सामने वाले आप्शन Option पर टिक करें और ओके OK पर क्लिक करें।


 इसके बाद खुली एप्लीकेशन फॉर्म Application Form में पूछी गई जानकारियां भरें।

1.  अपना पूरा नाम Full Name of the Candidate

2. हिमाचली बोनाफाइड का सर्टिफिकेट नंबर  Himachali Bonafide Certificate Number

3. अपने पिता का नाम  Father's Name

4. अपनी जन्म तिथि Date of Birth भरें  ( पहले दिनांक फिर महिना उसके बाद साल )

5. अगर आपके शरीर Body में किसी प्रकार का निशान Identification Mark हो तो उसकी जानकारी अगले आप्शन Option में भरें 


6. अगले आप्शन Option में अपने लिंग Gender की जानकारी यानि आप पुरुष  है या महिला इसकी जानकारी दे।

      इसके लिए आप ऑप्शनOption पर क्लिक करें 

7. अपना आधार नंबर Aadhaar Number लिखे 

8. यंहा पर अपने बारहवीं कक्षा 12th Class के बारें जानकारी दे ।

        a)   आपने बारहवीं कक्षा किस बोर्ड से पास की है ।     Name of Board

        b)   आपने बारहवीं कक्षा पास कर ली है या पढ़ रहें है इसकी जानकारी दे ।     Status

        c)   बारहवीं कक्षा पास कर ली है तो उसका सर्टिफिकेट नंबर लिखें ।    Certificate Number

        d)   बारहवीं कक्षा के सर्टिफिकेट के इस्सु होने की तिथि लिखें । Date of issue Certificate

 9. अब अपने दसवीं कक्षा 10th Class के बारें जानकारी दे ।

        a)   आपने दसवीं कक्षा किस बोर्ड से पास की है ।   Name of Board

        b)   दसवीं कक्षा के सर्टिफिकेट के इस्सु होने की तिथि लिखें ।  Date of issue Certificate

        c)   दसवीं कक्षा का सर्टिफिकेट नंबर लिखें । Certificate Number

10. अगर आपने बारहवीं कक्षा से आगे की पढ़ाई की है तो एड क्वालिफिकेशन Add Qualification पर क्लीक करके उसके बारे जानकारी दे।


 

 11. अपने पत्राचार के पते Correspondence Address के  बारें जानकारी दे।

        a ).  अपने राज्य के बारे जानकारी दे 

        b ).  अपने जिला के बारे जानकारी दे 

        c ).  अपन पूरा पता लिखें

 12. अपने घर के पते Permanent Address के  बारें जानकारी दे।

        a ).  अपने जिला के बारे जानकारी दे

        b ).  अपनी तहसील के बारे जानकारी दे

        c ).  अपने ब्लाक या शहर के बारे जानकारी दे 

        d ).  अपनी पंचायत या वार्ड के बारे जानकारी दे

        e ).  अपन पूरा पता लिखें 


 13. आप जिस पोस्ट के लिए फॉर्म भर रहें है उसके बारे में जानकारी दें ।

 14. अपनी  केटेगरी और सब केटेगरी के बारे में जानकारी दें। Post Applied For

     a ). केटेगरी भरें । Category

     b ). सब केटेगरी भरें । Sub Category

     c ). आपकी केटेगरी की पोस्ट उपलब्ध है उसकी जानकारी भरें । Post Availability

 

  15. अपनी  फोटो और हस्ताक्षर की फोटो अपलोड करें। Photo / Signature

      a ). फोटो 10 kb से 200 kb  के बिच की होनी चाहिए ।

      b ). हस्ताक्षर की फोटो 4 kb से 30 kb  के बिच की होनी चाहिए ।

 


 

   16. अंडरटेकिंग  Undertaking भरें।

अगर आपने फॉर्म सही ढंग से भर ली है तो प्रोसीड Proceed पर क्लिक करें।  

 

इसके बाद अंत में सबमिट Submit पर क्लिक करें।


 एक बार और सबमिट Submit पर क्लिक करें।  अब आपकी फॉर्म पूरी तरह से भरी जा चुकी है ।

 

17. अब इसके बाद ऑनलाइन फीस Online Fees भरने की प्रक्रिया शुरू होती है।




 

         a ). फीस पेमेंट Fee Payment पर क्लिक करें ।

         b ). पे नाओ Pay Now पर क्लिक करें ।

         c ). आप जिस माध्यम से ऑनलाइन पेमेंट करना चाहते है उसे चुने और पेमेंट करें ।

 

ऑनलाइन मोड Online के माध्यम से शुल्क का भुगतान करें और ऑनलाइन आवेदन पत्र जमा करें।

सभी आवेदन विवरणों को नोट करें और आवेदन पत्र की एक हार्ड कॉपी प्रिंट करें।

हमें उम्मीद है, की हमारे द्वारा बताई गई जानकारी आपके लिए लाभदायक सिद्ध होगी धन्यवाद ।




हिमाचल प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2021 

Himachal Pradesh Police Recruitment 2021

हिमाचल पुलिस भर्ती हेतु ऑनलाइन आवेदन करें

Apply Online for Himachal Police Recruitment

हिमाचल प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती की पूरी जानकारी हिंदी में 

Himachal Pradesh Police Recruitment information in Hindi

हिमाचल प्रदेश पुलिस भर्ती बोर्ड ने 1334 कांस्टेबल (पुरुष, महिला और चालक) नौकरियां अधिसूचना ऑनलाइन जारी की है। जिसके लिए उम्मीदवारों की योग्यता 12 वीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण रखी गई है, अभ्यार्थी 01 अक्टूबर 2021 से एचपी पुलिस कांस्टेबल भारती 2021 ऑनलाइन आवेदन पत्र भर सकते हैं। एचपी पुलिस कांस्टेबल नौकरी ऑनलाइन फॉर्म की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर 2021 है। हिमाचल प्रदेश पुलिस के लिए ऑनलाइन फॉर्म आवेदन करने की आधिकारिक वेबसाइट कांस्टेबल भर्ती www.recruitment.hppolice.gov.in है। हिमाचल प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती पात्रता मानदंड के बारे में पूरी जानकारी जैसे शैक्षिक योग्यता, आयु सीमा, चयन प्रक्रिया, वेतन, आवेदन शुल्क, महत्वपूर्ण तिथियां, ऑनलाइन फॉर्म प्रक्रिया लागू करें और महत्वपूर्ण लिंक नीचे उपलब्ध हैं। हिमाचल प्रदेश पुलिस कांस्टेबल फॉर्म ऑनलाइन आवेदन करने से पहले सही आधिकारिक जानकारियां ध्यान से देखें और पढ़ें।

 

एचपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2021 के ऑनलाइन आवेदन के लिए निचे दिए लिंक पर क्लिक करें

www.recruitment.hppolice.gov.in


यह खबर उन उम्मीदवारों के लिए सुकून देने वाली है जो काफी समय से इस भर्ती का इंतजार कर रहे थे। केवल वही पुरुष और महिला उम्मीदवार हिमाचल प्रदेश पुलिस कांस्टेबल नौकरियों के लिए ऑनलाइन आवेदन पत्र भर सकते हैं जिन्होंने न्यूनतम 18 वर्ष की आयु प्राप्त कर ली है। सभी श्रेणियों के लिए अधिकतम आयु सीमा अलग-अलग है। श्रेणियों के लिए आयु सीमा और आयु में छूट के बारे में विस्तृत जानकारी नीचे उपलब्ध है। अगर आप कांस्टेबल ड्राइवर पदों के लिए ऑनलाइन आवेदन करना चाहते हैं तो आपके पास वैध लाइट मोटर व्हीकल लाइसेंस होना चाहिए। इसके अलावा, आपको अपनी पसंद के अनुसार ऑनलाइन मोड और ऑफलाइन मोड के माध्यम से शुल्क का भुगतान करना होगा। उम्मीदवारों को आवेदन पत्र के ऑनलाइन पंजीकरण को पूरा करने के बाद शारीरिक मानक परीक्षण (पीएसटी), शारीरिक दक्षता परीक्षा (पीएसटी), और लिखित परीक्षा के लिए बुलाया जाएगा। नीचे एचपी पुलिस कांस्टेबल पाठ्यक्रम और शारीरिक विवरण देखें। 


कुल पद                    पुरुष                    महिला

1243                        932                     311

 

कांस्टेबल ड्राईवर ( पुरुष )   =  91 पद 

कुल पद   = 1334

 

हिमाचल प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती हेतु भरे जाने वाले पदों का जिला वार वितरण निम्नानुसार है:

 

 

हिमाचल प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2021 पात्रता

शैक्षिक योग्यता :- कांस्टेबल पदों के लिए हिमाचल प्रदेश पुलिस भर्ती 2021 के लिए ऑनलाइन आवेदन पत्र भरने के लिए आपको किसी मान्यता प्राप्त स्कूल बोर्ड से 10+2 कक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। वंही भूतपूर्व सैनिक श्रेणी के उम्मीदवारों को मैट्रिक कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण होना चाहिए।

हिमाचल प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2021 हेतु आयु सीमा: – 

सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए आयु सीमा 18 से 25 वर्ष रखी गई है। अगर आप एससी/एसटी/ओबीसी और गोरखा श्रेणी से संबंध रखते हैं तो आपकी आयु 18 से 27 साल होनी चाहिए। होमगार्ड व खिलाड़ियों की आयु 20 से 27 साल है। 
 
 

हिमाचल प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2021 चयन प्रक्रिया और वेतन


पहला चरण: – शारीरिक मानक परीक्षण 
 
दूसरा चरण: – शारीरिक दक्षता परीक्षा
 
तीसरा चरण: – लिखित परीक्षा
 

एचपी पुलिस कांस्टेबल वेतन: -

रु. 5910/- से रु. 20200/- + ग्रेड पे रु. 1900/- (शुरुआती रु. 7810/-)

और 8 साल के नियमित सर्विस पे बैंड के बाद रु. 10300 से रु. 34800+ रु. 3200/- ग्रेड पे
 
 

हिमाचल प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2021 हेतु आवेदन शुल्क क्या होगा

सामान्य श्रेणी के लिए आवेदन शुल्क                                         - 300 रुपये

गोरखा श्रेणी के लिए आवेदन शुल्क                                            - 300 रुपये

होम गार्ड (जनरल/गोरखा) श्रेणी के लिए आवेदन शुल्क               - 300 रुपये
 
महिला/एससी/एसटी/ओबीसी/बीपीएल/ईडब्ल्यूएस/होम गार्ड      - 100 रुपये 
 
 

हिमाचल प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2021 हेतु ऑनलाइन फॉर्म 2021 महत्वपूर्ण तिथियां

अधिसूचना जारी करने की तिथि                                                 10 सितंबर 2021
ऑनलाइन फॉर्म की आरंभ तिथि                                                 01 अक्टूबर 2021
एचपी पुलिस कांस्टेबल ऑनलाइन फॉर्म की अंतिम तिथि             31 अक्टूबर 2021
एचपी पुलिस कांस्टेबल परीक्षा तिथि 2021                                  अभी घोषित नही की गई है 
 
 


Write a letter to the principal to get the fee penalty waived by choosing the words given in the box and filling in the blanks

मज्जूषा में दिए गए शब्दों को चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति करते हुए प्राचार्य के प्रति शुल्क दण्ड क्षमा करवाने के लिए पत्र लिखों।


पञ्चाशत् रुप्यकशुल्कदण्डेन,           निकटे,             नूतनपरिधानात्‌,         प्रमादी,


प्रत्यभिज्ञानपत्रम,          दिवसे,        निरस्तम,         सुरेशः,       पाठशालाया:,        शिष्यः


     
 

प्रधानाचार्यमहोंदय:,


                                डी०ए०वी० विद्यालय:,

                                शिमलानगरम्‌ |

श्री प्राचार्यमहोंदय ! 


                    निवेदनम्‌ इद यत्‌ गते (i) ........दिवसे.........यदा अहं विद्यालय प्राप्त: तदा मम

            (ii) .........निकटे......... अकस्मादेव प्रत्यभिज्ञान पत्र नासीतू। ततो5हं             

            (iii) .........पाठशालाया:...... शरीर शिक्षा प्रमुखेन निगृहीतः। भवता च तदवलम्ब्य अहं 

            (iv) ...........पञ्चाशत् रुप्यकशुल्कदण्डेन..............  दण्डित: | मम पार्श्वे सदैव

            (v) .........प्रत्यभिज्ञानपत्रम......... गुटिकायां तिष्ठति स्म। पर ह्रा:  

            (vi) .........नूतनपरिधानात्‌........... तत्‌ गृहे एवं विस्मृतम्‌। नाह स्वभावेन 

            (vii) .........प्रमादी......... तेन प्रथमो5यं मम दोष: क्षन्तव्य: शुल्कदण्डड्च 

            (viii) ........निरस्तम.......... करणीयम्‌ इति में निवेदनम्‌।

                                    भवतः आज्ञाकारी (ix) .........शिष्यः.......... 

                                                                                                                        (x) .........सुरेशः........ 

                                                                                                                                        13, क्रमाड़ू:


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