हिमाचल का 1000 साल पूरे कर चुका चम्बा शहर II Chamba Achambha

  हिमाचल का 1000 साल पूरे कर चुका चम्बा Chamba शहर 

चंबा भारत के हिमाचल प्रदेश का एक जिला है। हिमाचल प्रदेश का चंबा जिला अपने मंदिरों और हैंडीक्राफ्ट के लिए पुरे विश्व में प्रसिद्ध है। रावी नदी के किनारे 996 मीटर की ऊंचाई पर बसा चंबा पहाड़ी राजाओं की प्राचीन राजधानी थी। चंबा को राजा साहिल वर्मन ने 920 ई. में इस नगर की स्थापना की। इस नगर का नाम उन्होंने अपनी प्रिय पुत्री चंपावती के नाम पर रखा। जो बाद में चम्पा से चम्बा बन गया। चारों ओर से ऊंची पहाड़ियों से घिरा चंबा शहर ने आज भी अपनी प्राचीन संस्कृति और विरासत को संजो कर रखा है। प्राचीन काल की अनेक निशानियां आज भी चंबा में देखी जा सकती हैं।

चम्बा मिलेनियम गेट

अरब के लेखकों ने चंबा के सूर्यवंशी राजपूत शासकों को 'जाब' की उपाधि के साथ लिखा है। अरबी में इसका नाम जाफ, हाब, आब और गाँव नाम भी हैं। इसकी प्राचीन राजधानी ब्रह्मपुर थी। हुएनत्सांग ने इसका वर्णन करते हुए लिखा है कि यह अलखनंदा और करनाली नदियों के बीच बसा है।  इस प्रकार यह प्रामाणिक माना जाता है कि चंबा नगर 9 वीं शताब्दी के प्रथम दशक में विद्यमान था। इब्न रुस्ता ने लिखा है कि चंबा के शासक प्राय: गुर्जरों और प्रतिहारों से शत्रुता रखते थे। 15 अप्रैल 1948 में इसका विलयन भारत सरकार द्वारा शासित हिमाचल प्रदेश में हो गया।

चंबा के दर्शनीय स्थल  

चंपावती मंदिर Champavati Temple Chamba

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Champavati Mandir
चंबा का चंपावती मंदिर चंबा के राजा साहिल वर्मन की पुत्री चम्पा को समर्पित है। यह मंदिर चंबा की पुलिस चौकी के भवन के पीछे स्थित है। ऐसा माना जाता है कि चंबा की इसी राजकुमारी चंपावती द्वारा अपने पिता साहिल वर्मन को प्रेरित किये जाने पर उन्होंने चम्बा नगर की स्थापना की थी । मंदिर में पत्थरों पर खूबसूरत नक्काशी है और छत को पहिया नुमा बनाया गया है।

लक्ष्मीनारायण मंदिर   Luxminath Temple Chamba

Laxmi Narayan Mandir Chamba Himachal
Luxmi Nath Mandir
लक्ष्मी नारायण मंदिर चंबा के प्रमुख मंदिरों में सबसे विशाल व प्राचीन मंदिर है, भरमौर के 84 मंदिर की तर्ज पर इस मंदिर में भी 84 छोटे बड़े मंदिर है।  ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले यह मन्दिर चम्बा के एतिहासिक चौगान में स्थित था परन्तु बाद में इस मन्दिर को अखंड चंडी राजमहल के साथ स्थापित किया गया। भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर राजा साहिल वर्मन ने 10 वीं शताब्दी में बनवाया था। यह मंदिर शिखर शैली में निर्मित है। यह मंदिर पांरपरिक वास्तुकारी और मूर्तिकला का उत्कृष्‍ट उदाहरण है।  मंदिर में एक विमान और गर्भगृह है। मंदिर की छतरियां और पत्थर की छत इसे बर्फबारी से बचाती है। मंदिर का ढांचा मंडप के समान है। 


चौगान Chamba Chowgan

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Chowgan
चम्बा का एतिहासिक चौगान चम्बा के इतिहास को संजोये हुए है यह चौगान ( Chamba Chowgan ) हर साल होने वाले मिंजर मेला के लिए भी जाना जाता है।  चौगान में प्रतिवर्ष मिंजर मेले का आयोजन किया जाता है। एक सप्ताह तक चलने वाले इस मेले में जिला ही नही बल्कि हिमाचल पंजाब से लोग पहुंचते है और यहाँ रात को होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमो का आनंद उठाते है। आजकल तो मिंजर के दौरान हिमाचली कलाकारों के साथ पंजाबी और बोलीवूड के कलाकार भी अपनी कला को प्रस्तुत करने पहुंचते है। इस अवसर पर यहां बड़ी संख्या में सांस्कृतिक और खेलकूद की गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। यह घास का खुला मैदान लगभग 1 किलोमीटर लंबा और 75 मीटर चौड़ा यह मैदान चंबा के बीचों बीच स्थित है। लेकिन अब चौगान चार हिसों में बंट चूका है। आजकल मिंजर मेला ने बड़ा रूप ले लिया है और यह अब अन्तर्राष्ट्रीय मिंजर मेला के नाम से जाना जाता है।


भूरी सिंह संग्रहालय   Bhuri Singh Museum Chamba

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Bhuri Singh Museum
इस संग्रहालय का नाम 1904 से 1919 तक चंबा में शासन करने वाले राजा भूरी सिंह ( Bhuri Singh Museum Chamba) के नाम पर पड़ा। यह संग्रहालय 14 सितंबर 1908 ई. में खुला। राजा भूरी सिंह द्वारा अपने परिवार की बनी चित्रों का संग्रह इस सग्रहालय को दान किया था। इस संग्रहालय में बसहोली और कांगड़ा आर्ट स्कूल की लघु पेंटिग भी रखी गई हैं।


भरमौर Bharmour

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Bharmour
चंबा नगर की राजधानी को पहले ब्रह्मपुरा नाम से जाना जाता था।  घने जंगलों से घिरा भरमौर नगर 2195 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। कथाओं के अनुसार 10 वीं शताब्दी में यहां पर 84 साधू आए थे। उन्होंने राजा से प्रसन्न होकर यहां के राजा को 10 पुत्र और एक पुत्री चंपावती का आशीर्वाद दिया था। यहां बने मंदिरो को चौरासी मंदिर के नाम से जाना जाता है। यंहा लक्ष्मी देवी, गणेश और नरसिंह मंदिर चौरासी मंदिर के अन्तर्गत ही आतें हैं। भरमौर से कुगती पास और कलीचो पास की ओर जाने के लिए उत्तम ट्रैकिंग रूट है। तथा विश्व में केवल एकलोता धर्मराज जी का मंदिर भरमौर में  मौजूद है जिन्हे हम यमराज के नाम से भी जानते। माना जाता है की जब कोई भी व्यक्ति मरता है तो मृत्यु के बाद उसे इस मन्दिर में आना ही होगा इसी मंदिर में हर आत्मा के कर्मों का हिसाब होगा और उसके कार्यो के अनुसार स्वर्ग या नरक की प्राप्ति होगी।


वजरेश्वरी मंदिर  Bajreshwari Temple Chamba

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Brajeshwari Devi Mandir
यह प्राचीन मंदिर एक हजार साल पुराना माना जाता है। प्रकाश की देवी वजरेश्वरी को समर्पित यह मंदिर नगर के उत्तरी हिस्से में स्थित जनसाली बाजार के अंत में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण शिखर शैली में हुआ है और इसकी छत लकड़ी से बनी है, इस मंदिर के शिखर पर बेहतरीन नक्काशी की गई है, जो आकर्षण का केन्द्र है।

सुई माता मंदिर Suhi Mata Temple Chamba

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Suhi Mata Tample
चंबा के निवासियों के लिए अपना जीवन त्यागने वाली यहां की रानी सुनयना को यह मंदिर समर्पित है। यह मंदिर शाहमदार की पहाड़ी पर स्थित है। यहाँ सुई माता नें कुछ समय के लिए विश्राम किया था। माना जाता है की चंबा के निर्माण के कुछ समय बाद यहाँ पर पानी का सकट उत्पन्न हो गया, तब रानी सुनयना को सपने में कुल देवी ने दर्शन दिए और कुल देवी ने कहा की राज परिवार से अगर कोई व्यक्ति अपना बलिदान देगा तो यह संकट समाप्त हो जायेगा। तब रानी सुनयना ने प्रजा की खातिर अपना बलिदान दिया और जिवित समाधी ली और तब जाकर चंबा का पानी का संकट समाप्त हुआ। तब से यहाँ सुई माता की याद में यंहा पर हर साल सुई मेले का आयोजन होता है। हर साल यह चैत महीने से शुरु होकर यह मेला बैसाख महीने तक चलता है। यह मेला विशेषकर महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। मेले में रानी की याद में पारम्परिक गीत गाए है, वंही मेले के दुसरे दिन लोग माता को श्रद्धांजलि‍ देने के लिए मलुना स्थित रानी के वलिदान स्थल तक जाते हैं।       

      

चामुन्डा देवी मंदिर Chamunda Devi Temple Chamba

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Chamunda Devi Temple
यह मंदिर पहाड़ की चोटी पर स्थित है जहां से चंबा की स्लेट निर्मित छतों और रावी नदी व उसके आसपास का सुन्दर नजारा देखा जा सकता है। मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर बना हुआ है और देवी दुर्गा को समर्पित है। मंदिर के दरवाजों के ऊपर, स्तम्भों और छत पर खूबसूरत नक्काशी की गई है। मंदिर के पीछे शिव का एक छोटा मंदिर है। मंदिर चंबा से तीन किलोमीटर दूर चंबा-जम्मुहार रोड़ के दायीं ओर है। 


हरीराय मंदिर Hariray Temple Chamba

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Hariray Tample
भगवान विष्णु का यह मंदिर 11 शताब्दी में बना था। कहा जाता है कि यह मंदिर सालबाहन ने बनवाया था। मंदिर चौगान के उत्तर पश्चिम किनारे पर स्थित है। मंदिर के शिखर पर बेहतरीन नक्काशी की गई है। हरीराय मंदिर में चतुमूर्ति आकार में भगवान विष्णु की कांसे की बनी अदभुत मूर्ति स्थापित है। 

रंगमहल Rang Mahal Chamba

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Rang Mahal

यह प्राचीन महल चंबा के सुराड़ा मोहल्ले में स्थित है।  इस महल की नींव राजा उमेद सिंह ने (1748-1768) डाली थी। महल का दक्षिणी हिस्सा राज श्री सिंह ने 1860 में बनवाया था। यह महल मुगल और ब्रिटिश शैली का मिश्रित उदाहरण है। यह महल यहां के शासकों का निवास स्थल था।

अखंड चंडी महल Akhand Chandi Palace Chamba

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Akhand Chandi Palace
चंबा के शाही परिवारों का यह निवास स्थल राजा उमेद सिंह ने 1748 से 1764 के बीच बनवाया था। महल का पुनरोद्धार राजा शाम सिंह के कार्यकाल में ब्रिटिश इंजीनियरों की मदद से किया गया। 1879 में कैप्टन मार्शल ने महल में दरबार हॉल बनवाया। बाद में राजा भूरी सिंह के कार्यकाल में इसमें जनाना महल जोड़ा गया। महल की बनावट में ब्रिटिश और मुगलों का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है। 

खजियार Khajjiar Chamba

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Khajiar
खजियार चम्बा की सबसे खूबसूरत जगह है। यह चम्बा से 22 कि. मी की दूरी पर है। लाखो की तादाद में हर वर्ष लोग यहाँ घूमने के लिए आते है। यहाँ एक झील है जो की काफी पुरानी है। और जिसका दृश्य लोगों के मन को भाता है। इसे मिनी स्विट्ज़रलैंड के नाम से भी जाना जाता है।


रावी नदी  Ravi River Chamba

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Ravi River
चंबा जिला में 3 प्रमुख नदियाँ बहती है, रावी, साल, स्युल। चंबा की रावी नदी, चंबा ही नही उत्तर भारत की प्रमुख नदियों में एक है।  इसका ऋग्वैदिक कालीन नाम परुष्णी है। सिंधु के सहायक पंचनद में सबसे छोटी नदी हैं। रावी नदी हिमाचल प्रदेश  में रोहतांग दर्रे से निकल कर हिमाचल प्रदेश, जम्‍मू कश्‍मीर तथा पंजाब होते हुए पाकिस्तान से बहती हुयी झांग जिले की सीमा पर चिनाव नदी में मिल जाती हैं।
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